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जानिए ये नियम अगर आप बैंक में एफडी करवाने की सोच रहे है तो

क्या आप बैंक में सविधि जमा खाता यानी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) अकाउंट खोलने जा रहे हैं? भारतीयों के बीच पॉपुलर इस निवेश विकल्प के बारे में आपको बता दें कि इससे जुड़ कुछ नियम ऐसे भी हैं जो हो सकता है कि आपको न पता हों। ये बहुत महत्वपूर्ण हैं, खास तौर से ऐसी स्थिति में जब आप ब्याज से हुई आय की कर संबंधी योग्यता जानना चाहते हों। आइए जानें :

1- यदि आपकी एफडी पर किसी एक वित्तीय वर्ष में कमाया गया ब्याज 10 हजार रुपए से ज्यादा है तो उस पर 10 फीसदी के हिसाब से टीडीएस कटेगा। उस पर भी यदि आपने पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) प्रोवाइड नहीं किया हुआ है, तो 20 फीसदी की दर से टैक्स काटा जा सकता है।
2-लेकिन, यहां आपको बता दें कि यदि किसी एक बैंक की एक या उससे अधिक शाखाओं में खोले गए रिकरिंग डिपॉजिट (आवर्ती जमा खाता) या एफडी से होने वाली सकल आय किसी एक वित्तीय वर्ष में 10 हजार के पार है तो उस पर टीडीएस कटेगा।
3- यदि बैंक ने टीडीएस काट लिया हो तो भी आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान इसका जिक्र करना होगा। यदि बैंक ने टीडीएस नहीं काटा है तो भी आईटीआर फाइल करते समय आपको इसे अपनी इनकम में शामिल मानते हुए इसका जिक्र करना होगा। ब्याज से आय (इंट्रेस्ट इनकम) पर टैक्स इस बात से निर्धारित होता है कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं। वैसे तो बैंक 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटते हैं लेकिन यदि आप ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो आपको रिटर्न फाइल करते समय अधिक टैक्स देना होगा।
4- यदि आपकी कर योग्य आय कर छूट के दायरे में आती है यानी सालाना 2.5 लाख रुपए से कम है और आपका वर्ष विशेष के लिए इनकम टैक्स शून्य बनता है तो आप ब्याज से हुई आय पर से टीडीएस बचा सकते हैं। लेकिन इसके लिए समय से फॉर्म 15G या 15H जमा करवाना होगा। मगर अगर आप किसी कारण से ये फॉर्म सब्मिट नहीं करवा पाएंगे तो आपको इस रकम की वापसी के लिए रिफंड भरना होगा।

5- राहत की बात यह है कि बचत खाते (सेविंग अकाउंट) के मामले में हुई इंट्रेस्ट इनकम पर कोई टीडीएस नहीं कटता। हालांकि एक साल में यदि ब्याज से होने वाली कुल आय 10 हजार रुपए से अधिक बन जाती है तो इस पर टैक्स देना होगा।

 

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