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सरकार का नया प्लान, चेक बाउंस वाले केस में अब नहीं लगाने होंगे कोर्ट के चक्कर

27 January 2020 | 3.04 PM

नई दिल्ली: फर्ज कीजिए आपने एक चेक साइन करके किसी को दिया और किसी वजह से वो बाउंस हो गया और आपकी शिकायत हो गई तो आप कानूनी फंदे में फंस जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. आपको चेक बाउंस वाले केस में कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. सरकार चेक बाउंस के मामलों के लिए एक एप्लीकेशन पर काम कर रही है जिससे चेक बाउंस होने पर अधिकांश निपटारा ऑनलाइन हो जाएगा और आप कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने से बच जाएंगे.

दस्तखत बेमेल हो गया तो चेक बाउंस हो गया, अकाउंट में चेक में भरी रकम से कम पैसे हैं तो भी चेक बाउंस हो गया. न जाने ऐसी कितनी बारीकियां है जिनकी वजह से चेक बाउंस हो जाता है. चेक बाउंस होने पर कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. कानून के हाथ आपके गिरेबान तक पहुंच जाते हैं. बैंक मेमो भेजता है और जिसने चेक लिया था वो कानूनी नोटिस भेज देता है. फिर कोर्ट-कचहरी का चक्कर और बात ज्यादा बिगड़ी तो हवालात की सैर लेकिन सरकार ने इन सारी परेशानियों का हल तलाश लिया है.

नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (NIC) की डायरेक्टर जनरल डॉ नीता वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया, "ऑनलाइन सिस्टम लाने जारहे हैं जिसमें कोई स्वीकारता है कि गलती हो गई तो उसे कोर्ट नहीं जाना वहीं पेमेंट कर दे और काम हो जाएगा."

एक अनुमान के मुताबिक इस समय पेंडिंग केसेस के मामलों में चेक बाउंस के मामले करीब 35% हैं. एक बार चेक बाउंस हो जाए तो थोड़ी रियायत हो भी जाती है पर इससे ज्यादा हो तो परेशानी में फंसना पक्का हो जाता है. बार-बार चेक बाउंस होने पर सबसे बड़ा डर क्रेडिट स्कोर खराब होने का होता है और उससे भी बड़ा डर जेल जाने का होता है. चेक बाउंस होना एक अपराध है. आपराधिक केस चल सकता है और जुर्माने के साथ दो साल की जेल भी हो सकती है. कुछ मामलों में बैंक अकाउंट सील हो सकता है.

इस संबंध में एसपी सिंह, DDG, NIC का कहना है, "चेक बाउंस के बहुत से केसेज पेंडिंग हैं. आसान तकनीक के जरिये पता कर लिया जाएगा. स्कैन करके मैच कर सकते हैं कि किसके नाम था. कोर्ट नहीं जाना होगा." मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये उन अधिकांश मुकदमों का निपटारा कोर्ट के बाहर ही हो जाएगा जिन मामलों में अदालत जाने की ज़रूरत पड़ती है. केस में आने वाले समय में ई-सुनवाई की व्यवस्था की जाएगी.

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