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नौकरी करने वालों के लिए बड़ी खबर! पीएफ से जुड़ा बिल इस हफ्ते हो सकता है पेश, आपकी सैलरी पर होगा सीधा असर

10 December 2019 | 2.55 PM

नई दिल्ली: सरकार इस हफ्ते सोशल सिक्योरिटी कोड 2019 (Social Security Code Bill 2019) को संसद में पेश कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए बिल में कई प्रावधान किए गए है. इसमें कर्मचारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वो अपनी इच्छाा से चाहे तो पीएफ के लिए कम राशि कटवा (PF Deduction) सकते हैं. इसका मतलब साफ है कि कर्मचारी अपना हिस्सा 12 फीसदी से कम कटवा सकेगा. आपको बता दें कि इस बिल (Social Security Code Bill 2019) को केंद्रीय कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. अगर संसद में यह बिल पारित हो जाता है तो EPFO इस नियम को जल्द नोटिफाई करेगा.

अब नए नियम में इसे थोड़ा सरल बनाया जा रहा है- मौजूदा नियमों के मुताबिक, कर्मचारी भविष्यr निधि (EPF) में कर्मचारी और कंपनी दोनों का 12-12 फीसदी अंशदान (Contribution) होता है.

>> ऑर्गनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारी और नियोक्ता (कंपनी) दोनों को बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने प्रोविडेंट फंड में जमा करना होता है.

>> खासकर MSME, टेक्सटाइल और स्टार्टअप्स जैसे सेक्टर्स के लिए नए नियम को लागू किया जा सकता है. लेकिन, दूसरे सेक्टर्स में इसका कितना असर होगा, यह बिल आने के बाद पता चलेगा.

>> इस नियम पर पिछले पांच साल से चर्चा हो रही है, लेकिन इसे सोशल सिक्योरिटी बिल के साथ ही पेश किया जाना है. हालांकि अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को ही लेना होगा.

इससे नौकरी करने वालों को क्या होगा फायदा- प्रोविडेंट फंड के हिस्से को कम करने से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (हाथ में आने वाली सैलरी) बढ़ जाएगी.

क्या होगा बदलाव- मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि मोदी सरकार ने इसका एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है. मोदी सरकार का मकसद है कि लोगों को उनके हाथ में ज्यादा पैसा मिले.

>> इससे खर्च करने की क्षमता में इजाफा होगा. हालांकि, प्रोविडेंट फंड का नया नियम चुनिंदा सेक्टर्स पर ही लागू होगा.

>> नए नियम में प्रोविडेंट फंड का हिस्सा 9 फीसदी से 12 फीसदी के बीच हो सकता है. लेकिन, कंपनी का हिस्सा 12 फीसदी ही रहेगा.

>> एक तरफ जहां कर्मचारियों को हाथ में ज्यादा सैलरी मिलेगी. वहीं, उनके रिटायरमेंट फंड पर इसका असर पड़ेगा. क्योंकि, अंशदान कम होने से उनके प्रोविडेंट फंड में कम पैसा जमा होगा.

>> इसका असर रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला सेविंग फंड पर पड़ेगा. कम अंशदान होने पर रिटायरमेंट फंड भी कम होगा.

 

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