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आयुष्मान भारत 2.0 में कैंसर का होगा बेहतर इलाज, कवर में किए गए बड़े परिवर्तन

13 September 2019 | 2.31 PM

नई दिल्ली: आयुष्मान भारत योजना में बड़ा फेरबदल हुआ है. स्कीम के तहत अब कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज मिलेगा. इसमें कैंसर के प्रकार की बजाय बीमारी का इलाज दवा की खुराक के आधार पर होगा. बेहद गरीब परिवारों के लिए यह नई हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम करीब 200 और पैकेज जोड़ेगी. इनमें कार्डियॉलजी और हड्डी रोगों से जुड़े बेहतर क्वॉलिटी के इम्प्लांट शामिल हैं. आयुष्मान 2.0 की शुरुआत 1 अक्टूबर से होनी है.

इस फ्लैगशिप प्रोग्राम को लागू करने का जिम्मा सरकार ने नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) को दिया है. नोडल एजेंसी के गवर्निंग बोर्ड ने बुधवार को आयुष्मान 2.0 को मंजूरी दे दी. यह मंजूरी कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है.

आयुष्मान भारत ने कैंसर केयर के मामले में टाटा मेमोरियल अस्पताल के नेशनल कैंसर ग्रिड की तर्ज पर बदलाव किया है. अब तक अस्पतालों में कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता था कि कैंसर कहां (मसलन फेफड़े में कैंसर है या पैनक्रियाज में) है.
हालांकि, अब कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सी दवाएं प्रिस्क्राइब की जा रही हैं. टाटा मेमोरियल अस्पताल में जिन प्रोटोकॉल का इस्तेमाल होता है, वही अब सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों के पास उपलब्ध होंगे.

एक सूत्र ने बताया, 'अब तक कैंसर केयर पैकेज का उतना इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था, जितना हम चाहते थे. इनमें बहुत सीमित विकल्प थे. लेकिन, अब चीजें बदल जाएंगी.' गवर्निंग बोर्ड की मंजूरी के बाद अब पैकेज में और बदलाव किए जाएंगे. फिर इन्हें आईटी प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा. अब आयुष्मान भारत में इम्प्लांट की बेहतर सुविधा मिलेगी. अभी तक प्राइवेट अस्पतालों को घुटनों के रिप्लेसमेंट या स्टेंट जैसे किसी इम्प्लांट सर्जरी के लिए एकमुश्त रकम रीइंबर्स की जाती थी. अब पैकेज में सर्जरी और इम्प्लांट दोनों का खर्च अलग से दिया जाएगा. इसके जरिए मरीज को बेहतर इम्प्लांट सुविधा मिल सकेगी.

सूत्र ने बताया, 'इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि अस्पताल कहीं सस्ता इम्प्लांट कर पूरे पैकेज की कीमत तो नहीं वसूल रहे.' हेल्थकेयर में बदलाव की पूरी प्रक्रिया नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद के पॉल की अगुवाई वाली एक्सपर्ट कमेटी ने पूरी की.

इस समिति का गठन आयुष्मान भारत के दायरे में आने वाले 1,300 पैकेज की समीक्षा के लिए किया गया था. समिति ने उन पैकेज की समीक्षा की, जिनसे तय होता है कि मरीजों और आयुष्मान के लाभार्थियों के इलाज में केंद्र अस्पतालों को कितना रीइंबर्स करेगा. काफी समय से इसकी मांग होती रही है. सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत के लॉन्च होने के बाद से अस्पताल और मेडिकल प्रैक्टिशनर्स इसकी मांग उठाते रहे हैं.
इस पूरे फेरबदल के बाद जो सबसे अहम बात निकल कर आई है, वह है मिशन की लागत का तर्कसंगत होना. बेहतर इलाज की पेशकश कर रहे करीब 200 नए पैकेज आयुष्मान भारत के तहत जुड़ेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'आयुष्मान भारत के तहत कई ऐसे पैकेज हैं जो नहीं थे. इनके लिए अस्पताल रीइम्बर्समेंट के तौर पर मनमाना क्लेम कर सकते थे. समीक्षा में इस्तेमाल हो रहे पैकेजों का पता लगाया गया. इन्हें आयुष्मान के तहत लाया गया.'

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