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चीनी के वितरण के लिए बनेगा ऑनलाइन सिस्टम, जानिए इसके बारे में...

5 June 2019 | 11.43 AM

नई दिल्ली: चीनी के वितरण के लिए पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के तहत अनाज की बिक्री की तरह एक पारदर्शी, ऑनलाइन प्रक्रिया तैयार की जाएगी। इसके बाद कैबिनेट से प्रति माह एक किलोग्राम चीनी सब्सिडी पर देने की स्वीकृति मांगी जाएगी। फूड मिनिस्ट्री से यह प्रक्रिया बनाने को कहा गया है। सब्सिडी पर चीनी की सप्लाई से 17.89 करोड़ निर्धन परिवारों को लाभ होगा। बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में निर्धन परिवारों को सब्सिडी पर चीनी देने का वादा किया गया था।

सरकार ने 2017 में निर्धन परिवारों को PDS के तहत सब्सिडी पर चीनी की सप्लाई रोक दी थी, लेकिन जल्द ही इसे अंत्योदय के तहत आने वाले सबसे निर्धन परिवारों के लिए एक किलोग्राम चीनी के वितरण के साथ दोबारा शुरू किया गया था। इन परिवारों को 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर PDS के तहत चीनी मिलती है।

फूड मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'निर्धन परिवारों को सब्सिडी पर एक किलोग्राम चीनी देने का प्रपोजल नई मोदी सरकार के मंत्रिमंडल के गठन के 24 घंटे के अंदर पहली कैबिनेट मीटिंग में रखा गया था। फूड मिनिस्ट्री से चीनी के वितरण के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया बनाने को कहा गया है। इस प्रपोजल को कैबिनेट की अगली मीटिंग में स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।'

अनाज के वितरण के लिए PDS की व्यवस्था पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है। इसमें राशन कार्ड/लाभार्थी और अन्य डेटाबेस का डिजिटाइजेशन, ऑनलाइन एलोकेशन, सप्लाई चेन मैनेजमेंट का कंप्यूटराइजेशन शामिल हैं। अधिकारी ने बताया, 'राज्य सरकार अपनी जरूरत की जानकारी ऑनलाइन फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को देती है, जो इलेक्ट्रॉनिक एलोकेशन करता है और इसके बाद प्रत्येक चरण में अनाज के मूवमेंट को ट्रैक किया जाता है। राशन की प्रत्येक दुकान में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसमें लाभार्थियों का डेटाबेस होता है। इससे लाभार्थियों की पुष्टि करने में मदद मिलती है।'

2017-18 में सरकार ने चीनी के लिए 300 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की थी, जो 2018-19 में 11 फरवरी, 2019 तक घटकर लगभग 125 करोड़ रह गई थी। देश के 14 राज्यों में यह स्कीम लागू है।
अधिकारी ने कहा, 'अब इस स्कीम को गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों के लिए भी लागू किया जा रहा है। इन परिवारों को अभी राशन की दुकानों से सब्सिडी पर अनाज मिल रहा है। अगर सभी राज्य इसे लागू करते हैं तो सब्सिडी पर सरकार का खर्च करीब 4,727 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होने का अनुमान है।'

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