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हवाई यात्रा: छोटे शहरों के लिए किफायती हो सकती है, जानिए कैसे?

28 March. 2018 | 12.11 PM

नई दिल्ली: डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) एक पॉलिसी पर काम कर रहा हैं जिसमें एयरलाइंस के लिए नॉन-ट्रंक रूट्स पर उड़ानें बढ़ाना जरूरी होगा जिससे छोटे शहरों के लिए हवाई किराए को किफायती रखा जा सकेगा। DGCA प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी हवाई किराए को नियंत्रित करने जा रहा है। इससे एयरलाइंस ऐसी स्थितियों में यात्रियों से मनमाना किराया नहीं वसूल सकेंगी।


यह पॉलिसी प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर बनाई जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय को नॉन-ट्रंक रूट्स पर एयरलाइंस के बहुत अधिक किराया वसूलने और आपदाओं या हड़ताल जैसी स्थितियों के कारण ट्रांसपोर्ट के अन्य जरियों पर असर पड़ने के समय हवाई किराया बहुत अधिक बढ़ने से जुड़ी कई शिकायतें मिली हैं। 2015 में चेन्नई में बाढ़ आने पर एयरलाइंस ने किराए बहुत अधिक बढ़ा दिए थे।


एक अधिकारी ने बताया, 'दिल्ली-लेह जैसे रूट्स पर किरायों को संतुलित बनाने के लिए हम जल्द ही एक पॉलिसी लाएंगे। इन रूट्स पर उड़ानों की कम संख्या के कारण किराए अधिक हैं। हम ट्रंक रूट्स पर किरायों को लेकर नियंत्रण नहीं करेंगे क्योंकि इन रूट्स पर किराए पहले ही किफायती हैं।'


पॉलिसी अप्रैल के अंत तक पेश की जा सकती है। इससे दिल्ली-मनाली और इलाहाबाद-पोर्ट ब्लेयर जैसे रूट्स के लिए उड़ानें बढ़ सकती हैं। DGCA इसे लेकर एविएशन मिनिस्ट्री और एयरलाइंस से बातचीत करेगा।


इस बारे में पेटीएम के वाइस प्रेजिडेंट और कंपनी की ट्रैवल यूनिट के हेड, अभिषेक रंजन ने कहा, 'इससे यात्रियों को राहत मिलेगी और इन रूट्स पर यात्रियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि उड़ानें बढ़ने से किराए कम होंगे। इससे बहुत से लोगों के लिए हवाई यात्रा करना किफायती हो जाएगा।' उनका कहना था कि सरकार को इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट के अन्य जरियों में भी सुधार करना चाहिए जिससे लोगों को कई विकल्प मिल सकेंगे।


हालांकि, DGCA की हवाई किराए पर नियंत्रण करने की योजना नहीं है। लेकिन वह मुश्किल स्थितियों में हवाई किरायों को लेकर बंदिशें लगा सकता है। अधिकारी ने बताया कि जाट आंदोलन जैसे विरोध प्रदर्शनों या किसी प्राकृतिक आपदा के समय हवाई किराए को किसी विशेष रूट पर पिछले 10 या 30 दिन के औसत किराए पर तय किया जा सकता है।

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