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इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश: LTCG टैक्स और सेंसेक्स के गिरने के बाद क्या करें?

21 February 2018 | 11.42 AM

हाल ही में दो भूकंप जैसी घटनाओं ने इक्विटी निवेशकों को हिला दिया। पहली, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आखिरी पूर्ण बजट में इक्विटी निवेशों पर एक LTCG टैक्स लगा दिया। जिसके तुरंत बाद शेयर बाजार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। 29 जनवरी को 36,283 के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर से 2 फरवरी को सेंसेक्स 2000 अंक गिर कर 34,082 के स्तर पर आ गया। ऐसी स्थिति में किसी इक्विटी निवेशक को क्या करना चाहिए। आइये इस संबंध में उपायों को देखें।


1: इक्विटी अभी भी सबसे अच्छा दांव है


LTCG टैक्स और छोटी-अवधि के लिए बाजार में करेक्शन के बावजूद, इक्विटी अभी भी आपके सर्वश्रेष्ठ दीर्घकालीन निवेश विकल्पों में से एक है। मैक्रो संकेतकों के सकारात्मक रहने के साथ, भारतीय बाज़ारों में दीर्घकालीन संभावनाएं बरकरार हैं, जिसकी संभावित वार्षिक आर्थिक वृद्धि 7-8% प्रतिशत होगी। यदि आप दीर्घकालीन लाभ की तलाश वाले निवेशक हैं तो आपको शेयर बाजार से बाहर नहीं निकलना चाहिए, और अपना निवेश बनाए रखना चाहिए। यदि आप एक इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक हैं तो आप अभी भी सर्वश्रेष्ठ बचत तरीके का उपयोग कर रहे हैं, जो अधिकांश असेट वर्गों से बेहतर दीर्घकालीन लाभ कमा रहा है और कमाना जारी रखेगा। LTCG के आने से आपके दीर्घकालीन आउटलुक में बदलाव नहीं आना चाहिए।


2: इक्विटी फंड लाभ छोटी बचतों से अधिक हैं


इक्विटी निवेश का लाभ तभी है जब आप इसमें लंबे समय तक अपना निवेश बनाए रखें। यही वह जगह है जहां पर उच्च लाभ की सर्वश्रेष्ठ संभावनाएं हैं। यदि आप किसी मध्यम या खराब प्रदर्शन वाले इक्विटी म्यूचुअल फंडों की तुलना करें तो उन्होने PPF जैसी छोटी बचत योजनाओं से बेहतर प्रदर्शन किया है। दिसंबर 2017 के CRISIL AMFI इक्विटी फंड प्रदर्शन इंडेक्स के अनुसार, इक्विटी फंडों का एक साल का CAGR 35.59%, तीन साल का 13.08%, पांच साल का 17.64%, और दस सालों का 8.94% रहा है। इसलिए LTCG निवेशक भावनाओं में बस खटास ला सकता है। ये निश्चय ही निवेश के लिए किसी तरह की बाधा नहीं है।


3: इक्विटी अभी भी बहुत कर-कुशल है


इस नए टैक्स के बावजूद, इक्विटी बेहद कर-कुशल बनी हुई है। रु.1,00,000 तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर अभी भी छूट हासिल है, जो छोटे-स्तर के निवेशकों के हितों की रक्षा करेगा। इसके अलावा, कर की दर को 10% पर नियत किया गया है भले ही आप 20% या 30% कर के स्लैब में हों।


आइए इस कर कुशलता को एक उदाहरण से समझें। मान लीजिए आप 30% स्लैब में हैं। आपने एक साल के लिए रु.5 लाख का निवेश 7% वाले फिक्स्ड डिपॉजिट और 7% का लाभ देने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड में अलग-अलग किया। आपने दोनो ही निवेशों पर रु.35,000 अलग-अलग कमाए। सेक्शन 80TTA के अंतर्गत रु.10,000 तक की ब्याज आय कर से मुक्त है। इसलिए ब्याज की शेष रु.25,000 रकम पर आपको 30% कर देना होगा, जो कि रु.7,500 + cess होगा। लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड अभी तक कर मुक्त है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपने रु.1 लाख की सीमा को पार नहीं किया है। छोटे निवेशक के रूप में आपके लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स को रु.1,00,000 से अधिक होने के लिए आपको कई वर्षों तक निवेश करना होगा।


4: नए निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड, निवेश का सुरक्षित तरीका है


यदि आप इक्विटी में निवेश शुरू करने पर विचार कर रहे हैं लेकिन आपके पास समय, ज्ञान या स्टॉक की रिसर्च में रुचि नहीं है तो म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश आपके लिए बेहतर रहेगा। इस तरह से आप अनुभवी फंड मैनेजर को स्टॉक खरीदने, होल्ड करने और बेचने, प्रॉफिट बुक करने व सेक्टोरियल डाइवर्सिफिकेशन जैसी जोखिम कम करने वाली विभिन्न तकनीकों के माध्यम से पोर्टफोलियो को संतुलित करने के निर्णय करने देते हैं। इसके अलावा, आप 500 रुपये प्रति माह की छोटी सी राशि से सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं।


5: मौजूदा निवेशक SIP जारी रख सकते हैं


SIP का प्रयोजन आपको बाजार के उतार-चढ़ाव से पार लगाना और आपका औसत लागत मूल्य कम करना है। इस फरवरी की शुरुआत में हमारे द्वारा अनुभव की गयी बाजार की छोटी सी गिरावट से आपको अपने निवेशों को खाली करने की जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए। यह मूर्खता होगी। बाजार की गिरावट आप को कम दाम पर और इक्विटी खरीदने का अवसर देती है। यह आपकी खरीदारी लागत को कम करती है, इस तरह से दीर्घ अवधि में आपका लाभ मार्जिन बढ़ता है।


हालांकि मिड-कैप व स्मॉल कैप सेगमेंट में निवेश के साथ सावधान रहें, क्योंकि इन सेगमेंट के कुछ स्टॉकों का मूल्य जरूरत से अधिक हो सकता है जिनमें करेक्शन की भरपूर संभावना हो। यदि आपने किसी कारण से अपने म्यूचुअल फंड से निकासी का निर्णय लिया है तो तीन लागतों पर विचार करें। एक - निकासी भार (एक्जिट लोड)। जब आप एक निर्धारित अवधि के अंदर अपनी यूनिट्स को बेचते हैं तो प्रत्येक इक्विटी फंड एक शुल्क लगाता है।


जैसे, 365 दिनों के अंदर निवेश खाली करने पर अनेक फंड 1% का शुल्क लगाते हैं। दो - अपने खर्च अनुपात की जांच करें। इससे आपके संपूर्ण रिटर्न में कमी आती है। तीन - अपने निवेश की अवधि की जांच करें। उन इक्विटी निवेशों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर आप 15% कर देते हैं, जिनकी अवधि 365 दिनों से कम होती है। अपने निकासी भार पर थोड़ा अतिरिक्त और STCG के लिए पांच प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान की जगह पर आप थोड़ा इंतज़ार करके इन लागतों को घटा सकते हैं।


6. टैक्स अवसरों को स्मार्ट रूप से घटाएं


LTCG के बावजूद आपके कर अवसरों को स्मार्ट तरीके से कम करने के अवसर उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, आप अपने परिवार के उन सदस्यों के नाम पर निवेश कर सकते हैं जिनकी कर योग्य आय आप से कम हो। आप रु.1 लाख की सीमा के अंदर आवधिक रूप से लाभ बुक कर सकते हैं, और उन लाभों पर कोई कर दिए बिना उस राशि को फिर से निवेश कर सकते हैं।

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